हरि हराय नमः कृष्ण यादवाय नमः लिरिक्स:- एक लोकप्रिय बंगाली कीर्तन है, जो भगवान कृष्ण के प्रति सम्मान और भक्ति की अभिव्यक्ति के रूप में गाया जाता है, जहां भक्त गायन के माध्यम से भगवान के प्रति अपनी भक्ति दिखाने के लिए इकट्ठा होते हैं। यह हिंदू देवता विष्णु, विशेष रूप से उनके अवतार कृष्ण और श्री चैतन्य, नित्यानंद श्री अद्वैत, श्रीरूप, श्रीसनातन, श्रीजीव के प्रति भक्ति व्यक्त करता है।
हरि हराय नमः कृष्ण यादवाय नमः लिरिक्स
(हारी) हराय नमः कृष्ण यादवाय नमः।
यादवाय माधवाय केशवाय नमः।।
गोपाल गोविन्द राम श्रीमधुसूदन।
गिरिधारी गोपीनाथ मदनमोहन।।
श्रीचैतन्य नित्यानंद श्रीअद्वैत सिता।
हरी, गुरु, वैष्णव, भागवत, गीता।।
श्रीरूप, श्रीसनातन, भट्ट-रघुनाथ।
श्रीजीव गोपालभट्ट, दास-रघुनाथ।।
इन छह गोसाइयों की करू मैं चरण वंदन।
जिससे विघ्न नाश हो और अभिष्ट हो पूरन ।।
ये छह गोसाइ हैं जिनके, मैं हूं उनके दास।
उन सबके पद रेनु हैं मेरी पंचग्रास ।।
उनके चरण सेवा से, भक्तों के संग हो वास।
जन्म जन्म मेरी है यही अभिलाषा।।
इन छह गोसाइयों ने जब व्रज में किया निवास ।
राधाकृष्ण की नित्यलीला किया प्रकाश।।
आनंद से बोलो हरी, भजो वृन्दावन।
श्रीगुरु वैष्णव के चरणों में मनको करके समर्पण।।
श्री गुरु-वैष्णव-चरणकमल पे रखकर आस्था ।
कहता है नाम संकीर्तन नरोत्तमदास ।।
हरि हराय नमः कृष्ण यादवाय नमः लिरिक्स समाप्त।